भारत सरकार, नई दिल्ली के केंद्रीय हिंदी निदेशालय के निदेशक प्रो. सुनील बाबूराव कुलकर्णी कहते हैं कि “मैं समझता हूं कि यह किताब हिंदुस्तान को, जो कि 60% यंगिस्तान है, और हर उस हिंदुस्तानी को पसंद आएगी जो नए युग के साथ, आधुनिकता के साथ, बौद्धिकता के साथ, नवीनता के साथ कदम बढ़ाने के लिए तैयार है।” सोशल मीडिया के अनदेखे-अनजाने विभिन्न पहलुओं पर और इसके इतिहास पर अद्यतन, रोचक जानकारी देने वाली पुस्तक ‘डिजिटल दरिया’ ऐसे समय में प्रकाशित हुई है जब युवाओं के बीच सोशल मीडिया का क्रेज बढ़ रहा है। सोशल मीडिया आम आदमी के जीवन के हर पहलू को छूता है, इसलिए इसके बारे में गहराई से जानना इसका अधिकतम लाभ उठाने की तरफ पहला कदम है। इस पुस्तक में उन्होंने एक ओर जहां ट्विटर और फेसबुक के इतिहास के बारे में लिखा है वहीं दूसरी ओर पाठकों को इनके बारे में नवीनतम तथ्यों से भी अवगत कराया है जो पाठकों के दिलो-दिमाग पर चमत्कारी प्रभाव छोड़ते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया ने सरकार और जनता को संवाद का एक नया मंच दिया है। जनता और प्रशासन के बीच निकटता, स्थिरता और संवाद स्थापित करने तथा प्रशासनिक कार्यों को गति देने में सोशल मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस पुस्तक को पढ़ते समय पाठक को यह महसूस होता है कि लेखक ने बड़ी मेहनत से संचार के इतिहास की रूपरेखा तैयार करते हुए उसके वर्तमान की चर्चा की है और उसके भविष्य का भी रेखांकन किया है। जहां एक ओर पाठक को संचार साधनों की विशालता का अनुभव होता है, वहीं दूसरी ओर उसे यह भी अनुभव होता है कि किस प्रकार संपूर्ण प्रचार तंत्र और नया मीडिया उसकी उंगलियों पर सिमट गया है।
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